एक अनजान बगीचे में
पागल भ्रमर भ्रमण करता
मिलन सुन्दर कली का हो
बस यही आस क्षण क्षण करता
यौवन पंख उमंग सहित
उस प्रेमी ने उड़ान भरी
हर अंग अंग खिला फूलों का
खिल खिल कर मुस्कान भरी
आलिंगन पर उन पुष्पों का
न उसके मन को था भाया
प्रेम-वश था विवश भ्रमर के
दिल में इक सुन्दर काया
मदमस्त भ्रमर वो मन मेरा
तरसे है प्रेम कली पावन
रंग भर दे सुन्दरता जिसकी
मोहित कर दे मेरा जीवन