सरक भी जाए जो ज़मीन
हिल जाए दुनिया सही
अपने दिल के अन्दर ही
डर अपना समेटे रहो
चाहे कुछ भी हो लेकिन
तुम कुर्सी पर बैठे रहो
घर जल्दी क्यों जाओगे
क्या घर संसार निभाओगे
परिवार का ग़म मत करना
आनंद यही पर लेते रहो
चाहे कुछ भी हो लेकिन
तुम कुर्सी पर बैठे रहो
जीना यही व मरना है
तुम्हें काम ही करना है
जीवन के भवसागर में
नाव करम की खेते रहो
चाहे कुछ भी हो लेकिन
तुम कुर्सी पर बैठे रहो
नौकरी का यही सिद्धांत है
तेरे भाग में एकांत है
इसी में अपना मोक्ष जान के
चिता समझ तुम लेटे रहो
चाहे कुछ भी हो लेकिन
तुम कुर्सी पर बैठे रहो