Tuesday, April 14, 2020

तालाबंदी (लॉकडाउन)


वश में अपने सब करने को, 
संपूर्ण सृष्टि को हरने को,
जिसने समस्त उपचार किया, 
पृथ्वी पर अत्याचार किया, 
वह आज घरों में अपने ही लाचार खिन्न सा बसता है,
देख अनोखा दृश्य मनुज का विषमाणु यह हँसता है। 

अपनी विलासिता वृद्धि से, 
अपनी सुख व समृद्धि से, 
जन्तू-जंगल का नाश किया, 
सागर आकाश विनाश किया, 
वह आज अभाव से घिरा हुआ इंसान अकेला पिसता है,
देख अनोखा दृश्य मनुज का विषमाणु यह हँसता है। 

दर्पण निसर्ग का देखा ना, 
हित सर्व भूत का सीखा ना, 
अपने अंदर न झांक सका,
अपना ही दोष न आंक सका, 
वह आज नसल भगवान राजनीति के ताने कसता है,
देख अनोखा दृश्य मनुज का विषमाणु यह हँसता है।