सुहानी शाम के आँचल में
एक खूबसूरत से पल में
झुकी पलकों के परदों से स्वीकार कर ले
पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले
साँसों की महकती गर्मी से
होठों की सुलगती नरमी से
दिल के उजड़े उपवन में बहार कर ले
पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले
मीठी मीठी बातों में
लिए हाथ को हाथों में
शहद में घुली हंसी से इज़हार कर ले
पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले
जहां उसके नाम करूं
ज़िन्दगी तमाम करूं
मुझसे गर ज़िन्दगी में एक बार कर ले
पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले... ...झूठा ही सही
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