है हँसी बिखराती
ख़ुशी बरसाती
दुःख के अन्धकार में रौशनी फैलाती
रूप सुनहरा
पर मैं देख ठहरा
उसकी आँखों का सागर गहरा
कोई बात छुपाता
मैं जान पाता
गर मैं बस इतना समझ पाता
कि है वो क्या
जो दर्द भरा
उसके दिल की किताब में लिखा
पर मैं बेअकल
पड़ा निर्बल
हर कोशिश के बाद भी विफल
खड़ा हूँ आज
सुन ले आवाज़
अब तू ही खोल दे सारे राज़
ऐ मेरे खुदा
अब तू ही बता
कि आखिर मेरी आकांक्षा है क्या?
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