Saturday, September 16, 2023

सनातन

 मिट सकता है नहीं सनातन कभी किसी के कहने से।


आदि काल से जीवित जो, चिरञ्जीव है शाश्वत जो,

युगों युगों से करता आया मोक्ष मार्ग प्रकाशित जो। 

कभी थका है दीप भला वो ज्ञान ज्योति का जलने से।

मिट सकता है नहीं सनातन कभी किसी के कहने से।


जिसपर अत्याचार हुआ, झूठ-कपट का वार हुआ,

तत्त्वों का तथ्यों का कण कण रक्त-सिन्धु का धार हुआ।

रोक सका है क्या कोई आदित्य सत्य का उगने से।

मिट सकता है नहीं सनातन कभी किसी के कहने से।


जब भी पापी गुर्राया, खड्ग पवन में लहराया,

कट कर उसका शीर्ष गिरा है अहंकार जिस पर छाया।

कभी झुका है शूर भला ही युद्ध धर्म का लड़ने से। 

मिट सकता है नहीं सनातन कभी किसी के कहने से।


मथुरा और अवध टूटा, सोमनाथ को भी लूटा,

बन्द कुएं में छिपा हुआ नन्दी का विश्वनाथ छूटा।

रोक सका है क्या कोई देवाल भक्ति का बनने से।

मिट सकता है नहीं सनातन कभी किसी के कहने से।