एक सुस्त दोपहर
लेटे थे हम बिस्तर पर
करने को थोड़ा आराम
कि तभी अचानक से, श्रीमान,
फ़ोन हमारा चीखा चिल्लाया,
किसी का बुलावा था आया।
बन्द पलकों के साथ ही हमने हाथ बढ़ाया,
फ़ोन को उठाकर कानों से लगाया,
और बेज़ार सी आवाज़ में फ़रमाया,
"हैलो।"
एक पल का था सन्नाटा,
और इसके पहले की हमारा मुँह खुल पाता,
एक मीठी वाणी का उस ओर उद्गम हुआ
जैसे अमृत और मधु का सङ्गम हुआ,
अवश्य ही वह कोई अप्सरा थी जिसका पृथ्वी पर जनम हुआ।
वैसे तो हम खुश ही हैं ,
लेकिन उस पल अपने विवाहित होने का हमें थोड़ा सा ज़रूर ग़म हुआ।
खैर सपनों की दुनिया से खुद को निकाला,
अपनी बची-खुची जवानी को सम्भाला,
अपनी भावनाओं को कर के कण्ट्रोल,
अपनी उम्र के तराज़ू में शब्दों को तोल,
जैसे-तैसे हिम्मत जुटाए,
उन मोहतरमा से हम फ़रमाये,
"कहिये, मैं क्या मदद कर सकता हूं आपकी?"
"जी मैंने सुना है कि आप पीएचडी के छात्र है,
और वाकई प्रशंसा के पात्र हैं,
पर हमने भी पीएचडी के देखें हैं ख़्वाब,
यह निर्णय सही है या ख़राब,
ऐसे ही कुछ प्रश्नों के पाने थे जवाब,
इसीलिए आपको कॉल किया है जनाब।"
बस उसी क्षण हुई स्वप्न-नगरी ध्वस्त,
हौसले हुए पस्त,
आँखों के आगे दुःख के बादल मण्डराये,
और हम असलियत में वापस लौट आये।
बोले, "बहन... अब आपको क्या बताएं,
अपनी कहानी कहां से सुनाएं"
आईआईएम का कैम्पस स्वस्थ्य का बाज़ार है,
यहां आते ही व्यक्ति हो जाता वेट-लॉस का शिकार है,
जो खा लेता इसकी मेस में एक बार है,
उसे हो जाता फिटनेस से प्यार है।
सच कहें तो आईआईएम ने हमें इतना प्यार सिखा दिया,
संवेदना क्या होती है यह भी दिखा दिया,
बेदिल हैं वो लोग जो कुत्तों को कैम्पस से हटवाते हैं,
भई, कुत्तों का मन रखने को महीने में एक-दो बार तो हम भी खुद को उनसे कटवाते हैं।
मैंने कहा, "देवी जी।"
आईआईएम के पानी में इतनी प्यूरिटी है,
कि अच्छे-अच्छों को मिल जाती मैच्युरिटी है।
हम जब यहां आये थे अपना सामान लेके,
सर पे बालों की पूरी दूकान लेके,
पूरी पर्सनालिटी में ऐसे फेरबदल हो गए,
कि तीन साल में भैया से अङ्कल हो गए।
मैडम जी, आईआईएम आस्था से ओत-प्रोत है,
भक्ति-भाव का अद्वितीय स्रोत है।
ऐसे माहौल में पढ़ते हुए,
वन-प्राणी वातावरण या स्वयं भगवान से लड़ते हुए,
जब आप कभी थक जाएँ,
पढ़-पढ़ के पक जाएं,
फिर भी न मिलेगा आराम है,
क्या कहें इतना सारा काम है,
कि नास्तिक को भी ईश्वर समरण आ जाते हैं,
प्रार्थना में स्वयं को हर क्षण पाते हैं।
तो अब आप ही कहें, माय डिअर,
आपको सारे सङ्केत तो दिख रहे होंगे क्लियर।
जब ऐसा हो निराला संस्थान,
तो कोई कितना करे उसकी महानता का बखान।
स्वास्थय व प्रेम का वास्ता,
मैच्युरिटी और भगवान में आस्था,
यह आईआईएम इन सब का परम उदाहरण है,
मेरे यहां आने का, डार्लिंग, बस यही कारण है।
फिर फ़ोन पर एक ख़ामोशी छायी,
कुछ समय के लिए कोई आवाज़ नहीं आयी,
फिर इसके पहले कि हम कुछ कह पाते,
कन्या से उसका नाम पता ही जान पाते,
उसने फ़ोन पटक दिया,
हमारे दोस्ती में बढ़ते हाथ को झटक दिया।
खैर, हमने अपनी नज़र घुमाई,
अभी भी थी भरी दुपहरी छायी,
और लेटे-लेटे उसी बिस्तर पर,
फिर सो गए अपनी पलकें बन्द कर।