Monday, June 15, 2009

office की कुर्सी

सरक भी जाए जो ज़मीन
हिल जाए दुनिया सही
अपने दिल के अन्दर ही
डर अपना समेटे रहो
चाहे कुछ भी हो लेकिन
तुम कुर्सी पर बैठे रहो


घर जल्दी क्यों जाओगे
क्या घर संसार निभाओगे
परिवार का ग़म मत करना
आनंद यही पर लेते रहो
चाहे कुछ भी हो लेकिन
तुम कुर्सी पर बैठे रहो


जीना यही व मरना है
तुम्हें काम ही करना है
जीवन के भवसागर में
नाव करम की खेते रहो
चाहे कुछ भी हो लेकिन
तुम कुर्सी पर बैठे रहो


नौकरी का यही सिद्धांत है
तेरे भाग में एकांत है
इसी में अपना मोक्ष जान के
चिता समझ तुम लेटे रहो
चाहे कुछ भी हो लेकिन
तुम कुर्सी पर बैठे रहो

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