Sunday, February 14, 2010

तमन्ना

सुहानी शाम के आँचल में
एक खूबसूरत से पल में
झुकी पलकों के परदों से स्वीकार कर ले
पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले


साँसों की महकती गर्मी से
होठों की सुलगती नरमी से
दिल के उजड़े उपवन में बहार कर ले
पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले


मीठी मीठी बातों में
लिए हाथ को हाथों में
शहद में घुली हंसी से इज़हार कर ले
पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले


जहां उसके नाम करूं
ज़िन्दगी तमाम करूं
मुझसे गर ज़िन्दगी में एक बार कर ले
पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले... ...झूठा ही सही

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